Aisa kya hua ke, pitte pitte mar dala usne


दोस्तों,
आज फिर हाज़िर हूँ मै आपके सामने एक दरिंदगी से भरी वीडियो लेकर ।
चलिए मै आज आपको एक कहानी सुनाती हूँ। एक व्यक्ति अपने घर से बहार जंगलो से होता हुआ अपने रिश्ते दार के घर जा रहा था । तभी रस्ते में उसने एक सक्स को देखा जो एक जंगली जानवर को बुरी तरह से पीट रहा था ।

पहले तो उसे लगा की यह व्यक्ति पागल है, जिसमे इतनी भी सुध नहीं कि वह एक जंगली को जंगलियों से भी बुरा पीट रहा है । उसे ने दूर से आवाज़ लगाई। क्या हुआ भाई, क्योँ मार रहे हो बेचारे को, छोड़ दो जाने दो उसे।

आदमी झल्ला कर बोला, कैसे जाने दूँ, आज बड़ी मुश्किल से हाथ लगा है, आज नहीं छोडूंगा। व्यक्ति ने फिर पुछा, आखिर हुआ क्या है भाई जान ?

गुस्सैल व्यक्ति ने फिर झल्ला कर जवाब दिया, अरे हुआ क्या है, रोज़ मेरे कपडे लेकर भाग जाता है, गांव में रह रहे लोगों के लिए आतंक है ये जीव। आज नहीं छोडूंगा। अरे पागल हो क्या, वन विभाग को फ़ोन क्योँ नहीं लगाते?

हाँ मै पागल हूँ, आज एक जंगली की भेंट पागल से हो ही गई , आज या तो ये या मैं। व्यक्ति ने बड़े प्यार से उस आदमी के पास जाकर उससे उसकी छड़ी छीनी और कहा, देखो भाई मुझे मारलो इसी छड़ी से मै तुमसे अनगिनत बार मार खाने को तैयार हूँ, लेकिन इसे जाने दो, या कहो तो मै वन विभाग को फ़ोन लगाए देता हूँ।


उसका गुस्सा थमने का नाम नहीं लेरहा था, उसने फिर से छड़ी उठाई और लगा जानवर को पीटने। इस बार थोड़े नम स्वर में बोला, भाईजान आप भले इंसान लगते हो लेकिन ये भला नहीं है, पुरे गांव में इसकी दहशत है।

आप जाइये इसे तो मै देखलूँगा आज इसे अल्लाह भी नहीं बचा सकते। उस भले व्यक्ति ने पूछा , अल्लाह को मानते हो? वह रुका और पलट के बोला , हाँ मानता हूँ। तो अल्लाह के वास्ते इसे जाने दो, फिर गुस्सैल व्यक्ति बोला, आप बेफजूल की कोशिश कर रहे हो, जाओ यहाँ से नहीं तो भूलजाऊंगा तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। तुम्ही ने पागल कहाना मुझे। तो पागल की बात मानो और जाओ जहाँ जा रहे थे।

उस सज्जन के दिमाग में एक तरकीब सूझी (आज इसे किसी भी हाल में बचा के जाऊंगा, नहीं तो अल्लाह के दरबार में क्या मुँह दिखाऊंगा, एक बेज़ुबान पर जुर्म होता रहा और मै देखता रहा) वह पेट पकड़ कर लेट गया और जोर जोर से चिल्लाने लगा 'बचाओ भाई बचाओ मेरे पेट का दर्द , या अल्लाह। मै 7 कोस दूर से आरहा हूँ।

तुम्हे उस बेचारे को मारते देख अपना प्यास भूल गया था, लेकिन शरीर कहाँ दर्द को भूलेगी बिना दवा के। वह व्यक्ति लाठी फेंक कर दौड़ा दौड़ा बिलकते सज्जन के पास आया और बोला, 'भाईजान क्या हुआ अरे अभी तो अच्छे खासे थे, उठिये चलिए यहीं मेरा घर है मै आपको लिए चलता हूँ। मैं चल नहीं पाउँगा, मुझे मेरी

दवा लादो, मेरे थैले में पानी होगा जरासा बढ़ा दीजिये। उसने थैले में देखा तो, बोतल खाली पड़ी थी, पानी की एक बून्द भी बोतल में नहीं थी । उसने कहा, भाईजान पानी तो नहीं है। तुरत पलट के सज्जन ने जवाब दिया, कहीं से भी आप मुझे पानी लेकर दीजिये, कहते हैं प्यासे को जन्नत भी नसीब नहीं होती।

गुस्सैल भगा भगा अपने घर की और दौड़ा। इतने में सज्जन उठ खड़ा हुआ और उस जीव की ओर बढ़ा। उसकी दशा बद से बत्तर हो चुकी थी, वह बहुत डरा हुआ और गुस्से में था। उस निष्ठउर इंसान ने मार मार कर पैर तोड़ दिए थे उठा भी नहीं जा रहा था उस से।

वह किसी तरह हम्मत करता हुआ उस बन्दर के पास गया और उसे कंधे पर उठा लिया। हाथ लगते ही बन्दर ने जोर से काट लिया, वह चिल्ला उठा। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी। इससे पहले की पीठ पर लदा बन्दर उसकी जान लेले, सज्जन ने अपना फ़ोन निकाला, ताकि वह वनविभाग को फ़ोन कर सके लेकिन देखा तो नेटवर्क नहीं था।
अब नेटवर्क आए गए भी तो खरंजे पर पहुंचने के बाद, तब तक इसे झेलना ही होगा।

ये सोचता हुआ वह लगातार लम्बे कदमो के साथ चलता रहा। खरंजे पर पहुंच ते ही वह उस जीव को कंधे से उतार कर वन विभाग को फ़ोन लगाता है और उन्हें कहता है जल्दी आने को क्योकि उस बन्दर की हालत बहुत ख़राब थी।

दूसरी ओर गुस्सैल पानी लेकर आता है तो देखता है, दूर दूर तक कोई नहीं है, न तो वह नेक पुरुष और न ही वह जीव जिसे वह तबियत से पीट रहा था। वह बात को समझ गया और तेजी से खरंजे की ओर दौड़ा। मानो शेर के मुह से कोई शिकार को छीन कर लेगया हो।

20 मिनट बाद खरंजे पर पहुँच कर उसने जो देखा उस पर यकीं नहीं हो रहा था उसे। वह फूट फूट कर रोने लगा और बोला 'या लल्लाह ये क्या करवादिया तूने मुझसे, मैंने क्या कर दिया, अब क्या होगा ' और लगातार रोटा बिलकता रहा ।

पता है उसने क्या देखा?

उसने उस व्यक्ति को, जो थोड़ी ही देर पहले पानी के लिए बिलक रहा था, उसे खरंजे पर निष्प्राण पड़ा हुआ देखा। बन्दर के बार बार कंधे पर काटने और शरीर पर नोचने से उसके शरीर में विष फ़ैल गया और उसकी मृत्यू हो गई। वहीँ वह जीव भी आखिरी सांसे लेरहा था।

दोस्तों, सज्जन ने उस बन्दर को बचा लिया लेकिन खुद को नहीं बचा पाया। सोचो वह कितना प्यार करता होगा इंसानो से जिसने एक जानवर को बचाने के लिए अपनी जान देदी। उसके माँ बाब भी रोए होंगे उसके घर जिन्दा न लौटने पर।

यही मानिये भले उस व्यक्ति ने कितने भी पाप किये हों अपने निजी जीवन में, लेकिन उसके मरने से पहले की गई एक नेकी ने एक जीव को ही नहीं बल्कि उस गुस्सैल व्यक्ति को भी आज देश का बड़ा मौलवी बना दिया।

वह गुस्सैल व्यक्ति अब दूसरों को अमन का सन्देश देता है, और सभी को उस फ़रिश्ते की कहानी सुनाता है जिसने एक जान बचा कर इस कहानी को अमर कर दिया। दोस्तों उसनेतो बन्दर को बचा लिया।

लेकिन नीचे वीडियो मै आपको दिखाने जारही हूँ आज उसमे एक व्यक्ति ने बन्दर को मार मार कर मार डाला और दूसरा व्यक्ति उसे रोकने के वजाय अपने फ़ोन से वीडियो उतार राहा है।

यह कलयुगी प्रवृति है जिसने न तो इंसानियत को देखा और नाही उस न बोल सकने वले प्राणी की असमर्थता को देखा। उसे मार कर पेड़ पर लटका दिया फिर उसे चपलो से मारने लगा, और मारता ही चला गया।

अगर वक़्त मिले तो सज्जन की जगह पर आप भी अत्त्याचार को रोकने के लिए आगे बढ़ें और लोगोको हमारी कहानी शेयर करें ताकि सज्जन के भाव को समझें और अपने जीवन में उतारें। दोस्तों आपको एक सवाल के साथ छोड़े जारही हूँ, उस गुस्सैल व्यक्ति और सज्जन तथा वीडियो में गुस्सैल व्यक्ति और सज्जन में क्या अंतर है?


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