बेड टच यानी बुरे तरीके का स्पर्श क्या है। आपका स्वागत है UK2Blogger के नए हिंदी ब्लॉग सीरीज़ में ।हमारा आज का ब्लॉग है उन लोगो के लिए जो बुरे तरीके से स्पर्श को एक परंपरा बना चुके हैं।बेड टच यानी बुरे तरीके का स्पर्श क्या है। आपका स्वागत है UK2Blogger के नए हिंदी ब्लॉग सीरीज़ में ।
हमारा आज का ब्लॉग है उन लोगो के लिए जो बुरे तरीके से स्पर्श को एक परंपरा बना चुके हैं।एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में लगभग 30 % स्त्रियां बुरे स्पर्श से अवगत ही नहीं और औरो के साथ इसे एक अच्छा आचरण मानती हैं। आपको सुन कर हैरानी होगी हर दूसरी लड़की को बस में, रस्ते में , ऑफिस में, तथा अन्य जगहों पर बुरे स्पर्श का सामना करना पड़ता है।
हमारा आज का ब्लॉग है उन लोगो के लिए जो बुरे तरीके से स्पर्श को एक परंपरा बना चुके हैं।एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में लगभग 30 % स्त्रियां बुरे स्पर्श से अवगत ही नहीं और औरो के साथ इसे एक अच्छा आचरण मानती हैं। आपको सुन कर हैरानी होगी हर दूसरी लड़की को बस में, रस्ते में , ऑफिस में, तथा अन्य जगहों पर बुरे स्पर्श का सामना करना पड़ता है।
आज मैं आपके सामने एक वीडियो लेकर आई हूँ जिसमे कुछ लोग एक लड़की को कई बार छूटे हैं और बार बार छूटे हैं। पता नहीं क्योँ स्त्री भी उनका साथ दे रही है, आप जानते हैं भूत पिसाच में आज लगभग लोग विस्वास नहीं करते, आज तकनिकीकरन अपने चरम सिमा को छूटा जा रहा है, उदहारण के लिए 2030 हमारा देश भी अमेरिका की तरह ऑटोमेट हो जाएगा।
डेमॉनीटाइजेशन के कारन लाखो लोगो ने रोज़गार खोदिया, जिसे आर्थिक दृष्टि से अच्छा बताया गया, जब भविष्य में भारत अमेरिका के साथ संधि कर यहाँ रोबोट्स को काम पर लगाएगा तब क्या होगा? मैं आपके सामने एक ऐसी सोच रखने जा रही हूँ जिसे कुछ लोग सोचना ही नहीं चाहते। आज हम भले 12 हज़ार की नौकरी करते हैं लेकिन महीने में एक बार हमारे बच्चे और हमारा परिवार मूवी यानि के सिनेमा देखने जरूर जाता है।
डेमॉनीटाइजेशन के कारन लाखो लोगो ने रोज़गार खोदिया, जिसे आर्थिक दृष्टि से अच्छा बताया गया, जब भविष्य में भारत अमेरिका के साथ संधि कर यहाँ रोबोट्स को काम पर लगाएगा तब क्या होगा? मैं आपके सामने एक ऐसी सोच रखने जा रही हूँ जिसे कुछ लोग सोचना ही नहीं चाहते। आज हम भले 12 हज़ार की नौकरी करते हैं लेकिन महीने में एक बार हमारे बच्चे और हमारा परिवार मूवी यानि के सिनेमा देखने जरूर जाता है।
मैं कहूं सिनेमा देखने का कोई फायदा नहीं आपके मासिक आय की बर्बादी है, तो शायद आप कहेंगे 'सिनेमा देखने से हमारी समझ बढ़ती है और हमारे बच्चो को कुछ चीज़ो की समझ होनी चाइये जैसे आचार व्यव्हार, बात चित करने के तरीके वगेरा वगेरा। आज के सिनेमा में ऐसा कुछ नहीं और आने वाले दिनों में और भी बेकार हालत होने वाले हैं, लोग खुला सोच कह कर अर्ध सेक्स सीडी आपको पकड़ा रहे हैं बॉलीवुड मूवीज के नाम पर।
आज पिता वह मूवी नहीं देख सकता जो पुत्र अपने मोबाइल में देखा करता है। आज बेहने हमारा फ़ोन नहीं छू सकतीं क्योँकि अनेक तरह की चीज़ें हम अपने पास अपने मेमोरी कार्ड में लोगो से छुपा कर रखते हैं, कई बार वह ज्ञान वर्धक होने के साथ साथ बच्चो के भविष्य को भी ख़राब करती हैं अधिकांश 22 साल तक मोबाइल यूज़ करने वाले बच्चे नपुंशक पाए गए हैं, आज के समाज में जिस्तरीके से तकनीक बढ़ रही है उसी तरीके से बीमारियां भी पनप रही हैं। तो हम कहाँ थे, हाँ मै आपको मनी सेविंग के बारे में कुछ बता रही थी।
आज पिता वह मूवी नहीं देख सकता जो पुत्र अपने मोबाइल में देखा करता है। आज बेहने हमारा फ़ोन नहीं छू सकतीं क्योँकि अनेक तरह की चीज़ें हम अपने पास अपने मेमोरी कार्ड में लोगो से छुपा कर रखते हैं, कई बार वह ज्ञान वर्धक होने के साथ साथ बच्चो के भविष्य को भी ख़राब करती हैं अधिकांश 22 साल तक मोबाइल यूज़ करने वाले बच्चे नपुंशक पाए गए हैं, आज के समाज में जिस्तरीके से तकनीक बढ़ रही है उसी तरीके से बीमारियां भी पनप रही हैं। तो हम कहाँ थे, हाँ मै आपको मनी सेविंग के बारे में कुछ बता रही थी।
आज हमें तमाम सुख और वासना की आदत चारो तरफ से घेरती जा रही है, और सरकार सेल्लेरी बढ़ने पर विचार नहीं कर रही क्योँकि, सरकार ने आपको नहीं कहा तमाम सुविधाओं को इस्तेमाल करने को। बड़े व्यापारी विज्ञापनों के माध्यम से हमारे मन पर काबू कर लेते हैं और हमें अनेक तरह के सुख सुविधा प्रदान करने वाली चीज़ें पसंद आने लगतीं हैं।
जैसे बच्चे सरकारी स्कूलों में भी पढ़ कर टॉप करते हैं , लेकिन सामाजिक धारना हो चुकी है प्राइवेट स्कूलों में अच्छी पढाई होती है और बच्चे वहां अच्छे से पढाई करते हैं। मै आपको फिर बतादूँ इसी तर्क के कारन तमाम सुविधाओं को बस विज्ञापन और प्रचारक की बातो से सहमत हो कर हम इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में जब रोबोट्स हमारे समाज में एंट्री मारेंगे तब क्या होगा? आज मेरे पिता हैं टीचर, कल नहीं होंगे, कल उनकी जगह एक रोबोट ले लेकगा, लेकिन उनके नाती पोते उसी स्कूल में पढ़ेंगे।
जैसे बच्चे सरकारी स्कूलों में भी पढ़ कर टॉप करते हैं , लेकिन सामाजिक धारना हो चुकी है प्राइवेट स्कूलों में अच्छी पढाई होती है और बच्चे वहां अच्छे से पढाई करते हैं। मै आपको फिर बतादूँ इसी तर्क के कारन तमाम सुविधाओं को बस विज्ञापन और प्रचारक की बातो से सहमत हो कर हम इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में जब रोबोट्स हमारे समाज में एंट्री मारेंगे तब क्या होगा? आज मेरे पिता हैं टीचर, कल नहीं होंगे, कल उनकी जगह एक रोबोट ले लेकगा, लेकिन उनके नाती पोते उसी स्कूल में पढ़ेंगे।
कहने का मतलब यह है, प्रोडक्ट्स की जगह रोबोट ले लेंगे लेकिन उपभोगता की जगह वही रहेगी। उपभोगता जो सिर्फ खर्चता है और सेवा कहाँ से आरही हैं कौन दे रहा है, इससे उपभोगता का कोई लेना देना नहीं।हमारे जेब से पैसे ज्यादा जाएंगे लेकिन रोज़गार कल भी नहीं होगा, आज तो खैर है ही नहीं।
आपको यह जान कर ताज्जुब होगा हम इन चीज़ो के लिए आज भी तैयार नहीं पर ये चीज़ें होंगी, और आवश्य ही होंगी। हमारी महिलाऐं आज घर से निकलें तो उनका बलातकार करदिया जाता है, बच्चे स्कूल जाएं तो कई बार वापस नहीं आते। ऐसे में हर तरीके से टेक्निकल हो जाना किसी देश के लिए उपुक्त नहीं। तो चलिए अब बुरे स्पर्श की बात करते हैं, बुरा स्पर्श अक्सर उन लोगो को छूटा है जिनमे सोचने समझने की शक्ति नहीं होती,
आज हमारी बेटियां सूत में अपने आपको उनकंफर्टबले फील करती हैं वहीँ जींस के साथ अंग्रेजी ज़ुबान उनके हौसले को बढ़ादेता है। इसी सोच के कारन बुरे स्पर्श का जनम हुआ। यह मेरी निजी सोच हैं, आपकी राय कुछ और हो सकती है। नए लोगो से मिलना और मेलजोल बढ़ाना युवाओ की प्रवृति में निहित है। ज्ञान के साथ साथ सामान्य बनाने में। तो चलिए एक वीडियो देखते हैं, जिसमे कुछ लोग भूत के नाम पर महिला को लगातार टच कर रहे हैं। और महिला भी उनका साथ दे रही है, सच भगवान् जाने, अल्लाह जाने और वीडियो बनाने वाला जाने। मिलते हैं आपसे अगले ब्लॉग में।
आपको यह जान कर ताज्जुब होगा हम इन चीज़ो के लिए आज भी तैयार नहीं पर ये चीज़ें होंगी, और आवश्य ही होंगी। हमारी महिलाऐं आज घर से निकलें तो उनका बलातकार करदिया जाता है, बच्चे स्कूल जाएं तो कई बार वापस नहीं आते। ऐसे में हर तरीके से टेक्निकल हो जाना किसी देश के लिए उपुक्त नहीं। तो चलिए अब बुरे स्पर्श की बात करते हैं, बुरा स्पर्श अक्सर उन लोगो को छूटा है जिनमे सोचने समझने की शक्ति नहीं होती,
आज हमारी बेटियां सूत में अपने आपको उनकंफर्टबले फील करती हैं वहीँ जींस के साथ अंग्रेजी ज़ुबान उनके हौसले को बढ़ादेता है। इसी सोच के कारन बुरे स्पर्श का जनम हुआ। यह मेरी निजी सोच हैं, आपकी राय कुछ और हो सकती है। नए लोगो से मिलना और मेलजोल बढ़ाना युवाओ की प्रवृति में निहित है। ज्ञान के साथ साथ सामान्य बनाने में। तो चलिए एक वीडियो देखते हैं, जिसमे कुछ लोग भूत के नाम पर महिला को लगातार टच कर रहे हैं। और महिला भी उनका साथ दे रही है, सच भगवान् जाने, अल्लाह जाने और वीडियो बनाने वाला जाने। मिलते हैं आपसे अगले ब्लॉग में।