Jauhar kya hai


जौहर क्या है इसे समझने के लिए राजपूतो के इतिहास में जाना होगा। 16 सताब्दी के आसपास राजपूतों का अस्तित्व सामने आया, राजपूत प्रकृति से कोमल स्वभाव के और रणभूमि में आक्रामक होते थे। कहा जाता है, अगर किसी सेना की टुकड़ी में 100 राजपूत हैं तो उनका मुकाबला 1000 साधारण सिपाही नहीं कर सकते थे। आज राजपूतों का गढ़ हरियाणा, पंजाब, राजिस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार और ने राज्यों में पाया जाता है।

स्त्री छाए भ्रह्मां हो या राजपूत या अन्य समाज की, स्त्री का जीवन सदैव ही चुनौती पूर्ण रहा है। जौहर भी उन्ही प्रक्रियाओं में से एक था। जब स्त्री अपने प्रारब्ध को नहीं प्राप्त कर पति थीं, उस समय उन्हें जौहर का सहारा लेना पड़ता था। साधारण तौर पर कहा जाए तो वह स्थिति जिसमे एक स्वाभिमानी स्त्री को भाभिमान और इज्जत के खो देने का खतरा होता था, उस समय जौहर स्त्रियों के लिए आखरी विकल्प होता था।

जौहर की प्रक्रिया क्या क्या है?

जब राजपूत युद्ध को हार जाने के कागार पर होते थे, उनकी स्त्रियां एक विशाल क्षेत्र में आग जलाई जाती थी, और उस आग में सभी रानियां मुख्य रानी के साथ जौहर ले लेती थीं, अर्थात आत्म दाह कर लेती थीं। ऐसा नहीं है के आज के समय में ऐसा नहीं होता, जब जब स्त्री शक्ति को ललकारा जाता है कुचला जाता है, उनके शब्दों का गाला खोता जाता है, स्त्रियां उस वक आगजनी, फांसी, तथा अन्य भयानक विकल्पों का चयन करती हैं। स्त्री को समाज का एक कमजोर तबका मन जाता है, कहा जाता है के स्त्रियां कभी पुरुष का मुकाबला नहीं कर सकती।

यह धरना अत्यंत नकारातमक है, आज वो सभी कार्य करने में सक्षम हैं जिन्हे बेटे करते हैं। अगर जौहर की बात की जाए तो 18 सदी तक इसे समाप्त कर दिया गया था, लेकिन समाज में कुछ ऐसे तत्व भी हैं, जीके वजे जे यह प्रथा समाप्त तो होगी लेकिन अन्य नमो से आज भी विद्द्मान हैं। स्त्री को जौहर करने पर मरजबूर नहीं किया जासकता, जब जब पुरुष प्रधान समाज हारेगी,एक स्त्री अपना कदम जौहर को सौंप देगी। दीपा रावत ।

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